My guest today needs absolutely no introduction – Deepak Chopra. If you’ve ever followed this work, my podcast here you would know I normally am not the type of person that would get excited by a rockstar or a top athlete but, when I meet one of my teachers I am so humbled in his presence, and I am so grateful for the opportunity. We met a couple of times. The first time was around the time I published my first book, I had no idea what I was doing. Deepak’s always been Deepak, and we spoke together on a panel in New York City, where obviously he knew a million times more than I did but, he was so kind and so generous. For every question that came to the panel, Deepak would look at me and say “I think Mo would answer this better.” No, I would not answer it better, but the confidence and kindness of his encouraging me to do what I was doing, is probably the reason I am here today speaking to you, and probably the reason you’ve heard of my work.
I have learned so much from Deepak that I honestly feel I spent a retreat with him because I followed all of his work, and I always found nuggets of wisdom that are summarized in such a precise and articulate way that it would blow me away. It’s such a joy because today is the second time I meet my teacher.
Deepak Chopra is a world-renowned speaker and author. He is the founder of The Chopra Foundation, a non-profit entity researching well-being and humanitarianism, and Chopra Global, a health company at the intersection of science and spirituality. He is also a Clinical Professor of Family Medicine and Public Health at the University of California, San Diego and serves as a senior scientist with Gallup Organization. Deepak has written over 90 books, including numerous New York Times bestsellers. Chopra has been at the forefront of the meditation revolution and his 93rd book, Living in the Light (Harmony Books) taps into the ancient Indian practice of Royal Yoga. TIME magazine has described Dr. Chopra as “one of their top 100 most influential people.”
Listen as we discuss:
– Figuring out our identity
– ‘I’ is a constant and infinite
– Artificial Intelligence, Digital Deepak and consciousness
– How awareness unites us
– There is no universe
– ‘Our life is a dream’
– Perplexity and entropy
– What is happening right now
– Space is awareness
– The Multiverse and The Singularity
– Sensations, Images, Feelings and Thoughts
– You are not the roles you play – You are the awareness
– Superintelligence
– Love is the ultimate truth
– The more you know, the less you know
– ‘God’s language is silence’
– Resist or Flow
Connect with Deepak Chopra on Instagram @deepakchopra and on Twitter @DeepakChopra. Find out more about his work here: https://www.deepakchopra.com/about/
YouTube: @mogawdatofficial
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Website: mogawdat.com
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0:00 Slo Mo Intro
1:00 Guest Intro
3:14 Episode
51:23 Outro
Big bang will come again and it will be the end of this game but the playing will go on
all is one🙂
Dear Deepak Chopra ..how lovely you are …thank you. X. 🎆☮️🎇🌺
Wow this meeting is awesome. I applaud!
We ALL will face God when we die and He needs no introduction.
Thank❤🌹🙏 you, Mo Gawdat and Deepak Chopra for this beautiful experience😊😊😊
Lovely conversation, the background music is very distracting.
Your name is of the Nothing, describing one of its attributes.
Is Deepak Chopra sick. He has lost a lot of weight. Not a good sign when one is older.
The world is made of nothing. It is just a name given to collections of nothing. There is no world in the world, but but countries. No country in a country, but cities only. The habitations, the families, the individuals pards tissues molecules atoms and sub atoms. Nothing but a name given to a collection.
AI is going to replace all intelligence, not the intutions
Stillness is found in silence. We are all listening to our evolved brother Eckart Tolle. Stillness Speaks!
Beside the good interview.. I was disturbed and found it to be disrespectful for the interviewer to sit on the sofa with his dirty shoes on this white sofa!
Love you Mo ❤
Thanks. Shukriya. Meharbaani. Blessed. Blessings to everyone. 😊❤🎉😅😊
Cosmic connection's. Silence. Joyous journey. ❤🎉😊
What a mind blowing discussion, wish to spend the whole life listening and understanding.
Great salute !
„you and I can only interact with Atoms“ – wrong! we interact with photons, radiation etc. Deepak does not understand science, I‘m afraid.
Deepak is as full of rubbish as rubbish is as full of Deepak!
Resist or flow ? Which is the one we should focus on ?
Thank you both! ❤ what a beautiful conversation.
Thank you, mind blowing!
Deep gratitude Mr Mo.
दीपकजी बचपन में बच्चे को कुछ नहीं पता होता जैसे कि सांप में जहर हैं आग जलाती हैं वगैरा वगैरा। फिर धीरे धीरे मैंमोरी में स्टोर होता जाता हैं क्या उसके लिए सही हैं और क्या गलत। वैसे प्राण/आत्मा/रूह/soul तो शरीर में रहता ही हैं जन्म से ही। हमारी आंखों में अगर कोंन्स ना होते तो हमें रंग दिखाई ही नहीं देते जैसे कुत्ते को इंद्रधनुष में रंग नहीं दिखते और अंधे मनुष्य के लिए क्या उजाला क्या अंधेरा और क्या रंग । विजीबल लाइट में सात रंगों का एक निश्चित पैंटर्न हैं और वह अदला बदली भी नहीं होता। हर रंग की वेंव अलग हैं फ्रीक्वैंसी अलग हैं। चौड़ाई भी कम ज्यादा नहीं हैं। वेद कहता हैं यह जगत मिथ्या हैं और सहज सहज सब होयेगा जा कुछ रचिया राम। वाल्मिकी ने रामायण त्रेता से पहले लिखी और वेद व्यास जी ने महाभारत द्वापर से पहले गणेशजी से लिखवाई। रावण को नर से मरना था इसलिए विष्णुजी को रामजी बनकर आना पड़ा। कंस को पहले से पत्ता था कि देवकी का आठवा पुत्र उसकी जान लेगा तभी तो वासुदेव और देवकी को कारागार में रखा। वह भी बेड़ीयों में बांधकर जिसमें वह संभोग नहीं कर सकते थे। अब हम लोग कौंन हैं who am I? यह प्रशन लगता आसान हैं आइ एम ए बेबी? आइ एम ए चाइल्ड़? आइ एम ए टीन? आइ एम एन एड़ल्ट? आइ एम ए मिड़ील एज्ड़ मैंन? आइ एम ओल्ड़? आइ वील डाई वन ड़े? जब मैं पैदा नहीं हुआ था तब मैं कहां था? जब मेरी मृत्यु हो जाएगी तो मैं कहां जाऊंगा? मैं आया कहां से मैं जाऊंगा कहां? जैसे ग्रैंवीटी दिखाई नहीं देती परंतु हैं यह पक्का होता हैं जब मनुष्य स्पेस में जाता हैं। स्पेस में जाने के लिए स्पेस शटल चाहिए परंतु आत्मा को सांतवे फलक पर जाने के लिए ग्रैंवीटी रोक नहीं पाती जैसे जल कि बुंदे ग्रैंवीटी के विपरीत आकाश में बादल बनती हैं। आत्मा/रूह जरूरी इसलिए हैं क्योंकि शरीर समाप्त होने पर नया शरीर ग्रहण करना हैं। सब शरीर के साथ सब खत्म हो गया तो फिर नया जन्म कैसे होगा कौंनशियसनैंस चाहिए। आंख हैं नहीं परंतु आंख के बिना भी अंधे का शरीर जिंदा रहता हैं। कान हैं नहीं परंतु बहरे का शरीर भी जिंदा रहता हैं। गूंगा बोल नहीं सकता परंतु फिर भी जिंदा रहता हैं। लेकिन अगर आत्मा नहीं तो शरीर लाश हैं। मरे मानुषेर भीतरे केऊं प्राण ढ़ुकाते पारे ना एटा सत्य । जीवन झूठ हैं और मृत्यु सच। आप सफल हो या असफल हो आप गरीब हो या अमीर हो जो आया हैं वह जाएगा राजा हो या रंक। अब सबसे बड़ी बात आपको मानव जन्म मिला हैं जानवर का नहीं पेड़ का नहीं सो दैट यु रियलाइज़ गाड़/सैल्फ/आत्मा/रूह/सोल। यह ऐसे ही हैं जैसे आपके पास धन हैं परंतु आप FRUGAL हैं और उसका उपयोग नहीं कर रहे। मानुष जन्म दुर्लभ हैं मिले ना बारंमबार तरूवर से पत्ता झड़े लगे ना वापस डार। एक कंजूस ने अपनी संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सारी संपत्ति बेचकर एक सोने की ईंट खरीद ली और उसे मैदान में एक जगह छुपा दिया। वह अक्सर उस जगह जाकर निरीक्षण करता रहता कि ईंट सुरक्षित है या नहीं। उसके इस व्यवहार पर उसके एक नौकर को शक हो गया कि उसने उस जगह खजाना छुपा रखा है। जब वह कंजूस व्यक्ति वहां से चला गया तो पीछे से नौकर ने सोने की ईंट को चुरा लिया। कुछ देर बाद जब वह कंजूस उस जगह पहुंचा तो उसने पाया कि ईंट चोरी हो चुकी है। वह चिल्ला – चिल्ला कर रोया और अपने बाल नोंच लिये। इस घटना केगवाह उसके पड़ोसी ने उसे समझाते हुए कहा – "तुम्हें ज्यादा पछताने की आवश्यकता नहीं है। उस जगह वह केवल एक पत्थर रख दो और यह कल्पना करो कि यही सोने की ईंट है। जब तुम्हें उस सोने की ईंट का प्रयोग ही नहीं करना था, तो पत्थर और सोने की ईंट में भला क्या फर्क?" "धन का मूल्य उसके संचय में नहीं, बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग में है।" वैसे ही रात गंवाई सोय के दिवस गंवायों खाय हिरा जन्म अनमोल सा कोड़ी हुआ जाए। मोक्ष दिलवाने के लिए भगीरथ ने मां गंगा को धरती पर लाया और राजा सगर के साठ हज़ार पुत्र मुक्ति पा गये। यह संसार मोह से बना हैं और जहां मोह हैं वहां दुख हैं। Detachment गीता का ज्ञान हैं। अभी दीपक चोपड़ा जी के शरीर में ज्योती हैं मरने के बाद ज्योती का क्या होगा यह दीपक चोपड़ा पर निर्भर करता हैं। इस जीने का गर्व क्या कहां देह की प्रित बात कहे ढ़ह जात हैं बारू की सी भित।
His identity has indeed changed
Much more feminine than before